कोरोना के इलाज की मनमानी फीस वसूल रहे हैं निजी अस्‍पताल

कोरोना के इलाज की मनमानी फीस वसूल रहे हैं निजी अस्‍पताल

सेहतराग टीम

कोरोना का कहर जारी है। लगातार मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। ज्यादातर लोग घर में बंद रहकर कोरोना से लड़ रहे हैं। जो लोग कोरोना पॉजिटिव निकले वो अस्पतालों में कोविड 19 बीमारी से जंग लड़ रहे हैं। देश के 80 फीसदी से ज्यादा कोरोना मरीजों का इलाज सरकारी अस्पतालों में हो रहा है। कुछ प्राइवेट अस्पताल भी कोरोना का इलाज कर रहे हैं। लेकिन वहां सिर्फ वही लोग जाते हैं जो आर्थिक रूप से सक्षम हैं या जब सरकार वहां भेज रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि प्राइवेट अस्पताल में कोरोना के मरीज से कितना पैसा वसूला जा रहा है।

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दरअसल सरोज सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल और सरोज मेडिकल इंस्टिट्यूट ने एक सर्कुलर जारी किया है, जिसके अनुसार दिल्ली सरकार के निर्देशनुसार सरोज सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल और सरोज मेडिकल इंस्टिट्यूट में कोरोना के मरीजों का इलाज शुरू किया जा रहा है।  जिसके बाद उन्होंने अपने कोविड के मरीज के इलाज का पैकेज भी दिया है।

पैकेज इस प्रकार है:-

1- एक दिन के इलाज की कीमत (2बेड/3बेड वाले कमरे में एक बेड) 40000/- रुपए है।

2- सिंगल रूम या प्राइवेट कैटेगरी के लिए एक दिन के इलाज की कीमत 50000 रुपए है।

3- ICU के लिए एक दिन के इलाज की कीमत 70000 रुपए है।

4- ICU के साथ वेंटीलेटर होने पर एक दिन के इलाज की कीमत 100000 रुपए है।

इसके अलावा कुछ अन्य शर्ते हैं, जैसे कि 2बेड/3बेड की कैटेगरी में मरीज के भर्ती होने से पहले 4 लाख रुपए एडवांस जमा करने पड़ेंगे। ऐसे ही सिंगल रूम के लिए 5 लाख रुपए एडवांस और ICU क लिए 8 लाख रुपए एडवांस जमा करने पड़ेंगे।

अब सवाल यह कि अगर निजी अस्पतालों में कोरोना के इलाज के लिए लाखों की कीमत वसूली जाएगी तो क्या ऐसे में आम आदमी के लिए इलाज करा पाना मुमकिन होगा। सीधे तौर पर देखें तो इलाज की कीमत बहुत ज्यादा है। अभी लगातर संक्रमित मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। ऐसे में सभी लोग कम इलाज के कारण सरकारी अस्पतालों की तरफ रूख करेंगे। मरीजों की संख्या ज्यादा होने के कारण सरकारी अस्पतालों में जगह ही नहीं मिलेगी। ऐसे में लोग प्राइवेट अस्पतालों की तरफ रूख करेंगे, लेकिन निजी अस्पतालों की इलाज की कीमत ज्यादा होने के कारण सभी के लिए वहां इलाज करा पाना मुमकिन नहीं होगा। ऐसे में मरीजों का क्या होगा?

जैसा कि जानते हैं कि इस समय पूरी दुनिया में कोरोना महामारी का प्रकोप बना हुआ है। अब भारत इस मामले में दुनिया में पांचवें पायदान पर है। क्या स्थिति की गंभीरता को समझने के लिए इतना ही काफी है किन्तु यदि देश के निजी अस्पताल इस कोरोना काल में भी आदतन मौके का फायदा उठा कर लूटपाट करते रहेंगे तो अपने लिये यकीनन मुसीबत को दावत देंगे।

सवाल ये है कि निजी अस्पतालों की जिम्मेदारी सिर्फ पैसेवालों के इलाज की ही बनती है? क्या गरीबों के लिए पहले से ही भरे हुए सरकारी अस्पताल ही रह गए हैं? चूंकि सच तो यही है इसलिए कोरोना के दौर में जब देश में स्वास्थ्य आपातकाल चल रहा है तो निजी अस्पतालों को जैसा कि नियम है, कम से कम अपने एक चौथाई  मरीजों का उपचार क्या फ्री में नहीं करना चाहिए?

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हालांकि हाल ही में कोरोना के सस्ते इलाज से जुड़ी दो याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की थी।  एक याचिका में सभी निजी अस्पतालों में कोविड-19 के इलाज की अधिकतम फीस तय करने की मांग की गई है। दूसरी याचिका उन अस्पतालों में कोरोना के सस्ते इलाज पर थी, जो सरकार से रियायती कीमत पर मिली ज़मीन पर बने हैं।  कोर्ट ने दोनों पर सरकार से जवाब मांगा है।

 

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